CHIDIYA OR USKA KHANA / LORI BOJPURI ME / LORI



चिरैया नन्ही सी जान और उसका खुटे में फसॉ हुआ खाना का वृतांत 




कैसे वह बड़े लोगों से विनती करती है लेकिन सफलता हाथ नही लगती 
लेकिन एक छोटी सी चीटी उसकी कैसे मदद करती है 
लोकगीत के माध्यम से जानते है


बात उस समय की है जब सुबह सुबह नन्ही चिरैया खाना चुगने के लिए बहार निकलती है
तभी उसको एक मटर का दाना मिलता है ओ बहुत खुश होती है और उसको चोच में दबा के उड़ जाती है 
रस्ते में उसे कुछ ओरतो को जाते पर अनाज पिसते डी देखती है 
और उसको उन औरतो की कुछ बाते ससुनाई पड़ती है 
" जाते में अनाज पिसने से खाने में और भी मिठास आ जाता है 
फिर चिड़िया रानी सोचती है की क्यों न मै भी मटर के दाने को पिस के खाऊ और अपने बच्चों को लेकर जाऊ 

जब ओरते  वह से चली जाती है तब ये अपना मटर का दाना 
लेकर जाते के पास पहुचती है लें जाता और एक मटर का दाना में दोनों एक दुसरे के पूरक एक इतना बड़ा 
और एक इतना छोटा 
तभी चिड़िया के मुह से दाना गिर जाता है और चोच से सीधे जाते के लकड़ी के खुट में गिर जाता है 

चिडिया रानी उसको बहुत निकलने की कोशिस करती है लेकिन निकल नही पाती 
फिर ओ मदद के लिए बढाई के पास जा कर बोलती है  


नन्ही चिरैया -> बढ़ई बढ़ई तू खुटा चीरा , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
बढ़ई-> जा जा यहाँ से मै इतने छोटे लोगो की बात नही सुनता I

चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा बढाई को किससे डर लगता होगा , राजा !!


फिर ओ राजा के पास जाती है 


नन्ही चिरैया -> राजा राजा तू  बढ़ई डाण , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
राजा -> जा जा यहाँ से मै इतने छोटे लोगो की बात नही सुनता हमरे पास इससे भी बड़े काम है 
चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा राजा को किससे डर लगता होगा , रानी  !!


नन्ही चिरैया -> रानी रानी तू राजा डाण , रजा ने बढ़ई डाणेे , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
रानी ->जाओ यहाँ से मै इतनी सी बात के के लिए महाराज को बुरा भला कहू 
चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा बढाई को किससे डर लगता होगा, पिटाई !!

फिर ओ डंडे ( लाठी )  के पास जाती है 


नन्ही चिरैया -> लाठी लाठी तू रानी मार् , रानी ने रजा डाणेे , रजा ने बढ़ई डाणेे , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
लाठी ->जाओ यहाँ से मै इतनी सी बात के के लिए रानी को कैसे मार सकता हु  को 
चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा लाठी  को किससे  डर लगता होगा, आग से  !!

फिर ओ आग के पास जाती है 


नन्ही चिरैया -> आगी आगी तू लाठी जलाव् , लाठी ने रानी मारेे , रानी ने रजा डाणेे , रजा ने बढ़ई डाणेे , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
आग ->जा जा यहाँ से इतनी सी बात के लिए मै लाठी को क्यों जलाऊ
चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा आग  को किससे  डर लगता होगा, पानी  से  !!

चिड़िया पानी के पास जाती है 


नन्ही चिरैया -> पानी पानी तू  आग बुझाव् ,  आग ने लाठी जलावेे , लाठी ने रानी मारेे , रानी ने रजा डाणेे , रजा ने बढ़ई डाणेे , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
पानी->इतनी सी बात के लिए अपने मित्र को नहीं बुझाऊंगा अप किसी और को देखो लो
चिड़िया निराश हो जाती है ,तभी चिड़िया ने सोचा पानी  को किससे  डर लगता होगा, सुखाने से   !!

चिड़िया पानी को सुखाने के लिए हाथीके पास जाती है 


नन्ही चिरैया -> हाथी हाथी तू पानी सोख्  , पानी ने आग बुझावेे ,  आग ने लाठी जलावेे , लाठी ने रानी मारेे , रानी ने रजा डाणेे , रजा ने बढ़ई डाणेे , बढ़ई ने खुटा चीरेे , खुटावा में दाल बा का खाई का पी का लेके परदेश जाई I
हाथी-> इतनी छोटी बात के लिए मै पानी को नही सोखुंगा 
चिड़िया निराश हताश हो जाती है ,सोचती है कोई उसकी मदद नही करेगा अज उसके बच्चे खाना नही
खा पाएंगे यही सब सोचते सोचते वह एक दाल पर बैठ जाती है


तभी एक चीटियों का झुण्ड निकलता है तभी उसमे से एक चीटी चिड़िया की ये हालत देख कर
उससे पूछ बैठती है क्या हुआ ?
फिर चीटी को चिड़िया साडी बात बताती है चीटी बोलती है मै तुमारी मदद करुँगी
चिड़िया बस तुम पेड़ के पीछे छिप जाओ और जब हम बुलाएँगे तब आना
इस बात पर चिड़िया ये विचार करते हुए छिपने चली जाती है की ये चीटी इतनी छोटी सी है
हमारी क्या मदद करेगी जब इतने बड़े बड़े लोग नही कर पाए

फिर भी वह वह से चली जाती है और छिप जाती है
सामने से हाथी आ रहा होता है हाथी के नाक में चीटी घुस जाती है और काटने लगती है
और बोलती है पानी को सोखना होगा
हाथी परेशान हो जाता है फिर चीटी से बोलता है
हाथी: हमके काटा ~वाटा मति कोई हम पानी शोखब लोई I
 मै तुमारी हर बात मानाने को तैयार हु ,फिर चिड़िया हाथी चीटी पानी के पास जाते 

इन लोगो को देख कर और हाथी की धमकी सुनाने के बाद पानी बोलता है
पानी: हमके सोख्~ओख मति कोई हम आग बुझाईब लोई I
 मै तुमारी हर बात मानाने को तैयार हु ,फिर सब आग के पास जाते 

इन लोगो को देख कर और पानी की धमकी बुझाने की सुन कर बोलता है
आग: हमके बुझाई~उझाई मति कोई हम लाठी जलाईब  लोई I
 मै तुमारी हर बात मानाने को तैयार हु ,फिर सब लाठी के पास जाते

जलने की बात सुन कर लाठी डर जाता है और बोलता है 
लाठी :हमके जलाई~ओलाई मति कोई हम रानी मारब लोई I
मै तुम्हारी बात मानाने को तयार हु मै रानी को जरुर मरूँगा ,फिर सब रानी के पास चल देते है

मरने की बात सुन कर रानी घबरा जाती है और बोलती है 
रानी : हमके मार् ~ओंर् मति कोई हम राजा डाणब लोई I
और राजा के पास जाती है

जब राजा को रानी से डाट पड़ती है तब राजा बोलता है
राजा: हमके डाण~ओण मति कोई हम बढ़ई डाणब लोई I
 राजा राजा को अपने किये पर पछतावा होता है और
वह चिड़िया से माफ़ी मागता है
फिर सैनिको को बोलता है बढ़ई को पकड़ के लाये

अब सबके सामने बढाई अता है और चिड़िया को देख कर जमाझ जाता है
फिर वह राजा से बोलता है 
बढ़ई: हमके डाण~ओण मति कोई हम खुटा चीरब लोई I

अंत में वह खुटा चीरता है चिड़िया का दाना मिल जाता है
वह  चीटी को धन्यवाद करती है
और फुर्र से उड़ जाती है 



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