Story of Crow and Sparrow


Story of  Crow and Sparrow


 इस कहानी को गांव में अधिकतर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में बूढ़े बुजुर्गों  के द्वारा सुनाया जाता है इसमें एक कौवा और  गौरैया पानी कुम्हार माटी लोहार के बीच हुई बातों को गीत के माध्यम से सुना जाता है 

आइए कहानी की शुरुआत करते हैं
  जंगल में एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने अंडों के साथ रहती थी  एक दिन वहां पर एक कौवा आ गया उसने बोला मैं तुम्हारे अंडे खाऊंगा , चिड़िया बुद्धिमान  थी उसने बोला 

भैया कम से कम अपना ठोढ़ (चोच) तो धुल के आओ 



कौआ बात मान लेता है और पानी की तलाश में उड़ जाता है ,  चिड़िया (गौरईया~रईया )
को समय मिल जाता है 




कौआ पानी की तलाश में उड़ रहा होता है
तभी उसको तालाब दिखाई देता है
कौआ तलब के पास जाता है और पानी से बोलता है 

कौआ : पनियम पनियम  पनियम ?
पानी: त का  बनारसी कऊआ ?
कौआ : दे पनिल्ला , धोई  ठोढिल्ला  ,तब खाई  गौरईया~रईयाके  बच्चा  
अब पानी सोच में पड़ जाता है , की केसे चिड़िया (गौरईया~रईया ) के बच्चे को बचाए 
 फिर बहाना बनता है 
पानी : पानी तो मै दे दूंगा लेकिन  कोई बर्तन  लेकर  आये हो  ,कही से बर्तन ले कर ओं
 यह सुन कर कौआ सोच में पड़ जाता है और वहॉं से उड़ जाता है 
कौआ बर्तन की तलाश में उड़ रहा होता है

तभी उसको कुम्हार ( कोहरम/कोहर ) दिखाई देता है 
फिर उसके पास जाकर बोलता है

कौआ :कोहरम कोहरम कोहरम ?
कोहार :त का  बनारसी कऊआ  ?
कौआ: दे  घडिल्ला   ,भरी पनिल्ला  , धोई  ठोढिल्ला  ,तब  खाई  गौरईया~रईया के  बच्चा  


अब  कुम्हार सोच में पड़ जाता है , की केसे चिड़िया (गौरईया~रईया) के बच्चे को बचाए 
 फिर बहाना बनता है 
 कुम्हार: घड़ा तो दे दूंगा लेकिन मिट्टी नही है कही से मिट्टी मिल जाता तो मै बना देता 
यह सुन कर कौआ सोच में पड़ जाता है और वहॉं से उड़ जाता है 

कौआ मिट्टी  की तलाश में उड़ रहा होता है
 तभी उसको मिट्टी का चट्टान  ( मटिकम ) दिखाई देता है 
कौआ मिट्टी के पास जाकर बोलता है 

कौआ :मटिकम  मटिकम  मटिकम  ?
 चट्टान: त का  बनारसी कऊआ ?
कौआ: दे  मटिल्ला , बनी घडिल्ला  ,भरी पनिल्ला  ,
धोई  ठोढिल्ला  ,तब खाई  गौरईया~रईयाके  बच्चा  

अब माटी सोच में पड़ जाता है ,की केसे चिड़िया (गौरईया~रईया ) के बच्चे को बचाए 
 फिर बहाना बनता है 
 चट्टान:मिट्टी  तो दे दूंगा लेकिन खोदो गे कैसे  है कही से खोदने का सामान लाओ (खुरपी)
यह सुन कर कौआ सोच में पड़ जाता है और वहॉं से उड़ जाता है 


कौआ  खोदने का सामान (खुरपी) की तलाश में उड़ रहा होता है
तभी उसको लोहे का कम करने वाला (लोहार / लोअहरम )दिखता है
कौआ लोहार के पास जाकर बोलता है
कौआ:लोअहरम ,लोअहरम, लोअहरम  ?
लोहार :त का  बनारसी कऊआ  ?
कौआ: दे खुर्पिल्ला, खोनी मटिल्ला , बनी घडिल्ला  ,
भरी पनिल्ला  ,धोई  ठोढिल्ला  ,तब खाई  गौरईया~रईया के  बच्चा  

अब लोहार सोच में पड़ जाता है ,की केसे चिड़िया (गौरईया~रईया) के बच्चे को बचाए 

लोहार कौआ को सबक सिखाने के लिए सोचता है

फिर ओ खुरपी उठता है और बोलता है 
लोहार:"खुरपी लाल लोगे या करिया (कला) "
कौआ : "लाल ही दे दो"
अब कौआ को क्या पता लाल गर्म और कला ठंढा होता है 
लोहार गर्म करता है 
लोहार :"इसको किधर रखुं"
कौआ: "मेरे पीठ पर रख दो "


पीठ पर रखते ही कौआ जल कर मर जाता है 
और इस तरह गोरैया के बच्चे गोरैया के सुझ बुझ से उसके बच्चे बच जाते है




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